मिश्री सी आँखों में मेरे जैसे बिखरी सी धूप में थोड़ी-थोड़ी निखरी सी पानी हो जैसे झील में नज़्म मेरी है, पर सुर सारे तेरे हैं किरणों में तू है तो ही मेरे सवेरे हैं तेरे लिए ही है टूटा मेरा हर क़ायदा तो क्यूँ हैं दूरियाँ? तो क्यूँ हैं दूरियाँ? तो क्यूँ हैं दूरियाँ? तो क्यूँ हैं दूरियाँ? ♪ तू चलाती है, तू रुकाती है तू ही मुझे बादलों में उड़ाती है तुमसे मिल के है राहों को भूला मैं जाता वहीं, तू जहाँ पे बुलाती है पर तू तो है हरजाई मेरी एक ना सुने तू दुहाई सब बेवफ़ा हैं, बस तू सहारा तू तो दौलत मेरी, तू कमाई ख़ुद को है तुझमें ही पा लिया बदले में है तुझसे क्या लिया? बस तुझसे लम्हे ही माँगे हैं मैंने मुफ़्त में तो क्यूँ हैं दूरियाँ? हाँ-हाँ तो क्यूँ हैं दूरियाँ? हाँ-हाँ तो क्यूँ हैं दूरियाँ? ♪ तो क्यूँ हैं दूरियाँ? तो क्यूँ हैं दूरियाँ? तो क्यूँ हैं दूरियाँ? ...क्यूँ हैं दूरियाँ?