पिघला दे ज़ंजीरें बना उनकी शमशीरें कर हर मैदान फ़तेह, ओ, बंदेया कर हर मैदान फ़तेह ♪ घायल परिंदा है तू, दिखला दे ज़िंदा है तू बाक़ी है तुझमें हौसला तेरे जुनूँ के आगे अंबर पनाहें माँगे कर डाले तू जो फ़ैसला रूठी तक़दीरें तो क्या? टूटी शमशीरें तो क्या? टूटी शमशीरों से ही, हो-हो कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह ♪ इन गर्दिशों के बादलों पे चढ़ के वक़्त का गिरेबाँ पकड़ के पूछना है जीत का पता, जीत का पता इन मुठ्ठियों में चाँद-तारे भर के आसमाँ की हद से गुज़र के हो जा तू भीड़ से जुदा भीड़ से जुदा, भीड़ से जुदा कहने को ज़र्रा है तू लोहे का छर्रा है तू टूटी शमशीरों से ही, हो-हो कर हर मैदान फ़तेह (कर हर मैदान फ़तेह) कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह ओ, बंदेया, हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह ♪ तेरी कोशिशें ही कामयाब होंगी जब तेरी ये ज़िद आग होगी फूँक देंगी ना-उम्मदियाँ, ना-उम्मदियाँ तेरे पीछे-पीछे रास्ते ये चल के पाँव के निशानों में ढल के ढूँढ लेंगे अपना आशियाँ अपना आशियाँ, अपना आशियाँ लम्हों से आँख मिला के रख दे जी जान लड़ा के टूटी शमशीरों से ही, हो-हो (कर हर मैदान, हर मैदान) (हर मैदान, हर मैदान) कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह ओ, बंदेया, हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह ओ, बंदेया, हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह ♪ कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया, हर मैदान फ़तेह