Kishore Kumar Hits

Viruss - Shiv Tandav текст песни

Исполнитель: Viruss

альбом: Shiv Tandav


जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी
विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके
किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस्
फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः
ललाट चत्वर ज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमाँ प्रभा
वलम्बी कंठकंध लीरुचि प्रबंधकंधरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजम्यहम

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम

पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं
यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः

Поcмотреть все песни артиста

Другие альбомы исполнителя

Похожие исполнители

ZB

Исполнитель