स्याह सी रातों से मैंने छीन ली है रोशनी रुक गया रस्ता जहाँ पे मैं वही से हूँ चली दिल पे ना curfew है मेरे, ख़्वाबों पे ना बंदिशें रात की पाबंदियों को तोड़ के मैं खिल गई मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी, ओ ♪ झीलों से, शिकारों से, दरिया के किनारों पे लम्हा-लम्हा खिल रही मैं रातों के साए तले महकी हर पल, हर फ़िज़ा में जैसे महके गुल कोई रातों को अपनाया ऐसे जैसे सुबह हो नई मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी मैं रात रानी, मैं रात रानी मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी, ओ मैं रात रानी की कली, मैं रात रानी, ओ मैं रात रानी