निकले थे दुनिया में अपनी सोचा कि भूलेंगे उसको वादी भी कहती थी उसकी "ख़ुशबू में ढूँढोगो मुझको" पत्तों में ओस हमेशा, नदियाँ मदहोश हमेशा ऐसा-सा था उसका गाँव पास आ घेरे बादल, आँखों में डाले काजल करते वो ठंडी सी छाँव मैं गुम सा था, अब होश आ गया कोई अपना सा फिर याद आ गया और भूल के सारी दुनिया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया ♪ उसकी गली के पराठों संग चाय की नदिया बही तसले की आग में रोज़ ही यादें भुनी उसकी गली के पराठों संग चाय की नदिया बही तसले की आग में रोज़ ही यादें भुनी आज नेगी और रावत भी आ गया लाल-परी के संग ठाकुर भी छा गया हाँ, भूल के सारी दुनिया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया पहाड़न की गलियाँ गया ♪ पत्तों में ओस हमेशा, नदियाँ मदहोश हमेशा ऐसा-सा था उसका गाँव पास आ घेरे बादल, आँखें बस माँगें काजल करते वो ठंडी सी छाँव ♪ हो, भूल के सारी दुनिया पहाड़न की गलियाँ गया