Kishore Kumar Hits

NAALAYAK - Zakir - Acoustic текст песни

Исполнитель: NAALAYAK

альбом: Zakir (Acoustic)


शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
शामें-सुबह
मिलना ज़रा
चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
शामें-सुबह मिलते नहीं
ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं

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