मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ कि आरजू जगाऊँ अगर तुम कहो तुमको बुलाऊँ कि पलके बिछाऊँ कदम तुम जहाँ जहाँ रखो ज़मीं को आसमां बनाऊँ सितारोँ से सजाऊँ अगर तुम कहो मैं तितलियों के पीछे भागूं मैं जुगनूओं के पीछे जाऊँ ये रंग हैं वो रोशनी हैं तुम्हारे पास दोनों लाऊँ जितनी खूश्बूयें बाग में मिले मैं लाऊँ, वहां पे, के तुम हो जहाँ जहाँ पे एक पल भी ठहरूं मैं गुलसितां बनाऊँ अगर तुम कहो... अगर कहो तो मैं सुनाऊँ तुम्हें हंसी कहानियाँ सुनोगे क्या मेरी जुबानी तुम एक परी की दास्ताँ या मैं करूँ, तुम से बयाँ कि राजा, से रानी, मिली थी कहाँ कहानियों के नगर में तुम्हें ले के जाऊँ अगर तुम कहो...