सारी गलियाँ तेरी जगमगा दूँगा मैं हर सुबह तेरी ख़ुद को बना दूँगा मैं सारी गलियाँ तेरी जगमगा दूँगा मैं हर सुबह तेरी ख़ुद को बना दूँगा मैं तू चलेगी जो घर से निकल के कहीं तो रस्ते में ख़ुद को बिछा दूँगा मैं ख़ुदा जाने मुझमें तू क्या देखती है मैं तुझमें ख़ुदा का करम देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी... ओ, ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फिर हो, कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फिर मैं जब तेरी आँखों को नम देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी... ♪ हो, तू देखे, ना देखे, हमें ग़म नहीं मगर तुझको देखे बिना हम नहीं तू देखे, ना देखे, हमें ग़म नहीं मगर तुझको देखे बिना हम नहीं ख़यालों में हर पल ही रहता है तू ये रहने को ज़िंदा हमें कम नहीं तेरे साथ के एक लम्हे में भी मैं तेरे साथ के १०० जनम देखता हूँ ख़ुशी जब भी... तुझको किया याद, दुनिया भुलाई है सीने में ऐसी लगन एक लगाई है तेरी तनहाई मेरी जान पे बन आई है मिलने की माँगूँ दुआ, मिलने की माँगूँ दुआ नज़र भर के जब देखता हूँ तुझे मैं तो ज़ख्मों पे दिल के मरहम देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ ख़ुशी जब भी तेरी... ♪ ख़ुशी जब भी तेरी... ♪ ख़ुशी जब भी तेरी...