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Vivek Singh - Milna Nahi текст песни

Исполнитель: Vivek Singh

альбом: Milna Nahi


तुमने-हमने जो सपना बुना था
बिखर वो रहा है कहीं
रातों के तारे जो बुनकर दिए थे
बिखर वो रहे हैं कहीं
ये दोनों के हालत हैं
कि कोई भी ख़ुश तो नहीं
चलो, कर लें वादा फ़िर हम
कि मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं

देखो ना ये क्या हो गया
हम क्यूँ ही फिर बिछड़ते गए?
कुछ पल की थी दूरी सही
अरसों तक थी ज़रूरी नहीं
आँसू पलकों में कैसे भला
थम कर रहेंगे, तू ये बता
धुँधली करके यादों को क्या
रह लोगे कैसे मुझसे ख़फा?
लिख कर मुझको हथेली पे अपनी
फिर से मिटा दोगी क्या?
बिखरे हुए वो रातों के तारे
रखे हैं अलमारी में क्या?
ये दोनों के हालात हैं
कि कोई भी ख़ुश तो नहीं
चलो, कर लें वादा फ़िर हम
कि मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं
मिलना कहीं भी नहीं

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