लगे सभी सही है, ग़लत तो नहीं है जो कुछ हुआ, या हो रहा है किसी से ना है कहना, ना कुछ सुनना है ख़ुद ही में दिल ये खो रहा है लो, आ गया मैं फिर वहीं है रास्ता जहाँ नहीं मंज़िलों से परे गुम कहीं ♪ पता ही ना चला, क्या ख़्वाहिशें थीं इस दिल में यूँ ही बहता चला था मैं तलाश-ए-साहिल में ना इतना फ़ासला था मेरा दिल से मगर मिलना हुआ ज़रा मुश्किल से ये जो भी हो रहा है, सब लगता है बे-यक़ीं मगर ये पता है, ना कोई गिला है है ज़िंदगी बड़ी हसीं भले वो मिले ना, एहसास उनका मिले अगर, है कम नहीं तो आ गया मैं फिर वहीं है रास्ता, हाँ, जहाँ नहीं मंज़िलों से परे गुम कहीं मंज़िलों से परे गुम कहीं