है क्या ये जो तेरे-मेरे दरमियाँ है? अनदेखी-अनसुनी कोई दास्ताँ है है क्या ये जो तेरे-मेरे दरमियाँ है? अनदेखी-अनसुनी कोई दास्ताँ है लगने लगी अब ज़िंदगी ख़ाली है मेरी लगने लगी हर साँस भी भारी बिन तेरे, बिन तेरे, बिन तेरे कोई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे बिन तेरे, बिन तेरे, बिन तेरे कोई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे ♪ अजनबी से हुए क्यूँ पल सारे? ये नज़र से नज़र ये मिलाते ही नहीं एक घनी तनहाई छा रही है मंज़िलें रास्तों में ही गुम होने लगी हो गई अनसुनी हर दुआ अब मेरी रह गई अनकही बिन तेरे बिन तेरे, बिन तेरे, बिन तेरे कोई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे बिन तेरे, बिन तेरे, बिन तेरे कोई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे ♪ कोई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे