आवारा हवा से पूछा एक बार क्या तेरी नार कर रही है मेरा इंतज़ार कानों में मेरे गुंगुनाके मुझसे वो दूर हो गई सुकी हुई पतियों को उड़ा के मुझसे के गई तू बादल नहीं, तू सागर नहीं लहरों की तरह, तू पागल नहीं तू पागल नहीं तू वो नहीं तू वो नहीं, तू वो नहीं, तू वो नहीं बेखबर सी कहीं जा रही थी बंजारी नदी लेहराके मोड़ों के जैसे बलखा रही थी नदी सोचा मैं हूं समुंदर जा के उसे छु लिया केह के वो दूर खो गई वादियों में तूने ये क्या किया तू बादल नहीं, तू सागर नहीं लहरों की तरह, तू पागल नहीं तू पागल नहीं तू तू वो नहीं तू वो नहीं, तू वो नहीं, तू वो नहीं तू तू वो नहीं तू बादल नहीं, तू सागर नहीं लहरों की तरह, तू पागल नहीं तू पागल नहीं तू तू वो नहीं तू वो नहीं तू वो नहीं तू बादल नहीं, तू सागर नहीं लहरों की तरह, तू पागल नहीं तू पागल नहीं तू तू वो, तू वो नहीं तू वो, तू वो नहीं तू वो, तू वो नहीं तू वो नहीं