फ़िज़ा ये रंगीन लग रही है
ख़ुशबू सी हवाओं में महक रही है
देख के तुझको ऐसा लगा
मेरी ज़िंदगी अब सँवर रही है
रंग है आँखों में, रंग है बातो में
तेरे रंग, रंग गया मैं, चंद मुलाक़ातों में
फ़ासले अब कैसे, तू मेरे साथ जो है
बात होगी अब तो लगा के तुझको गले
मैं सजदे में तेरे रहूँ, ख़ुदा से ये माँग लूँ
तू मिल जाए, मेरी करदे दुआ अब क़ुबूल
तुझपे मैं यारा, ओ, यारा, ओ, यारा
ये दिल गया हरा, ओ, हारा, ओ, हारा
कि बिन तेरे जीना, ना जीना, ना जीना
कब आएगा
तुझपे मैं यारा, ओ, यारा, ओ, यारा
ये दिल गया हरा, ओ, हारा, ओ, हारा
कि बिन तेरे जीना, ना जीना, ना जीना
कब आएगा
तू राग है, मैं raagh
तेरे बिना मेरा कुछ भी नही
तू हो जहाँ, मैं हूँ वहीं
है इस तरह से साँसें जुड़ी
वो शामें, वो रातें, हर पल में बस तू ही तू
एक दिन भी अब मैं तो बिन तेरे जी ना सकूँ
तुझपे ही मैं शुरू, तुझपे ख़तम
तुझपे मैं यारा, ओ, यारा, ओ, यारा
ये दिल गया हरा, ओ, हारा, ओ, हारा
कि बिन तेरे जीना, ना जीना, ना जीना
कब आएगा
तुझपे मैं यारा, ओ, यारा, ओ, यारा
ये दिल गया हरा, ओ, हारा, ओ, हारा
कि बिन तेरे जीना, ना जीना, ना जीना
कब आएगा
ओ, यारा, ओ, यारा, यारा...
ना जीना, जीना...
ओ, यारा, यारा...
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