वाक़िफ़ तो हुए तेरे उस ख़याल से छुपाया जिसे तूने क़ायनात से कहीं ना कहीं तेरी आँखें, तेरी बातें पढ़ रहे हैं हम कहीं ना कहीं तेरे दिल में, धड़कनों में ढल रहे हैं हम तू हर लम्हा था मुझसे जुड़ा चाहे दूर था मैं या पास रहा उस दिन तू, हाँ, उदास रहे तुझे जिस दिन हम ना दिखें, ना मिलें उस दिन तू चुप-चाप रहे तुझे जिस दिन कुछ ना कहें, ना सुनें मैं हूँ बन चुका जीने की एक वजह इस बात को ख़ुद से तू ना छुपा तू हर लम्हा था मुझसे जुड़ा चाहे दूर था मैं या पास रहा लब से भले तू कुछ ना कहे तेरे दिल में हम ही तो बसें या रहें साँसें तेरी इक़रार करें तेरा हाथ अगर छू लें, पकड़ें तेरी ख़्वाहिशें कर भी दे तू बयाँ यही वक्त है इनके इज़हार का तू हर लम्हा था मुझसे जुड़ा (मुझसे जुड़ा) चाहे दूर था मैं या पास रहा (पास रहा)