साँस लेना भी सज़ा लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है अब तो मरना भी रवाँ लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है अब तो मरना भी रवाँ लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है इतना मानूस हूँ सन्नाटे से इतना मानूस हूँ... इतना मानूस हूँ... इतना मानूस... इतना मानूस हूँ सन्नाटे से ...सन्नाटे से इतना मानूस हूँ सन्नाटे से कोई बोले तो बुरा लगता है कोई बोले तो बुरा लगता है अब तो मरना भी रवाँ लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है सर-ए-बाज़ार है... सर-ए-बाज़ार है यारों की तलाश सर-ए-बाज़ार है... सर-ए-बाज़ार है... सर-ए-बाज़ार है... सर-ए-बाज़ार है... सर-ए-बाज़ार है यारों की तलाश जो भी मिलता है, ख़फ़ा लगता है जो भी मिलता है, ख़फ़ा लगता है अब तो मरना भी रवाँ लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है ग़ज़ल का आख़िरी शेर है मुस्कुराता हो जो इस आलम में मुस्कुराता हो... मुस्कुराता हो... मुस्कुराता हो... मुस्कुराता हो जो इस आलम में बा-ख़ुदा, मुझको ख़ुदा लगता है बा-ख़ुदा, मुझको ख़ुदा लगता है अब तो मरना भी रवाँ लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है साँस लेना भी सज़ा लगता है शुक्रिया