साँस का बोझ रख के काँधों पर ज़िंदगी ने हमें ये दी सौग़ात ज़ख़्म के फूल, ख़्वाब के जंगल अश्क के दीप, इंतज़ार की रात ♪ कोई दीवार से लग के बैठा रहा कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर आज की रात भी चाँद आया नहीं आज की रात भी चाँद आया नहीं राह तकती रहीं खिड़कियाँ रात-भर कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर कोई दीवार से... ♪ ग़म जलाता किसे, कोई बस्ती ना थी ग़म जलाता किसे, कोई बस्ती ना थी मेरे चारों तरफ़ मेरे दिल के सिवा मेरे चारों तरफ़ मेरे दिल के सिवा मेरे ही दिल पे आ-आ के गिरती रहीं मेरे ही दिल पे आ-आ के गिरती रहीं मेरे एहसास की बिजलियाँ रात-भर कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर कोई दीवार से... ♪ दायरे शोख़ रंगों के बनते रहे दायरे शोख़ रंगों के बनते रहे याद आती रही वो कलाई हमें याद आती रही वो कलाई हमें दिल के सुनसान आँगन में बजती रहीं दिल के सुनसान आँगन में बजती रहीं रेशमी, शरबती चूड़ियाँ रात-भर कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर कोई दीवार से... ♪ कोई चेहरा, कोई रूप, आँचल कोई कोई चेहरा, कोई रूप, आँचल कोई सोच की वादियों से गुज़रता रहा सोच की वादियों से गुज़रता रहा मेरे एहसास को गुदगुदाती रहीं मेरे एहसास को गुदगुदाती रहीं रंग और नूर की तितलियाँ रात-भर कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर आज की रात भी चाँद आया नहीं राह तकती रहीं खिड़कियाँ रात-भर कोई दीवार से लग के बैठा रहा और भरता रहा सिसकियाँ रात-भर कोई दीवार से...