ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे काहे का झगड़ा बालम, नई नई प्रीत रे ये लो मैं... नये नये दो नैन मिले हैं नई मुलाकात है मिलते ही तुम रूठ गये जी ये भी कोई बात है जाओ जी माफ़ किया तू ही मेरा मीत रे काहे का झगड़ा... हुई तिहारी संग चलो जी बैयाँ मेरी थाम के बंधी बलम किस्मत की डोरी संग तेरे नाम के लड़ते ही लड़ते मौसम जाये नहीं बीत रे काहे का झगड़ा... चले किधर को बोलो बाबू सपनों को लूट के हाय राम जी रह नहीं जाये दिल मेरा टूट के देखो मैं गाली दूंगा छोड़ दो ये रीत रे काहे का झगड़ा...