ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ सुन जा दिल की दास्ताँ ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ सुन जा दिल की दास्ताँ पेड़ों की शाखों पे पेड़ों की शाखों पे सोई सोई चाँदनी पेड़ों की शाखों पे तेरे ख़्यालों में खोई खोई चाँदनी और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी रात ये बहार की फिर कभी न आएगी दो एक पल और है ये समां, सुन जा दिल की दास्ताँ लहरों के होंठों पे लहरों के होंठों पे धीमा धीमा राग है लहरों के होंठों पे भीगी हवाओं में ठंडी ठंडी आग है इस हसीन आग में तू भी जलके देखले ज़िंदगी के गीत की धुन बदल के देखले खुलने दे अब धड़कनों की ज़ुबाँ, सुन जा दिल की दास्ताँ ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ, सुन जा दिल की दास्ताँ दास्ताँ