उसके सिवा मुझको कोई ना भाता है कोई बता दे उसे चैन भी कमबख़्त मुझको तो आता है उसमें ही खो जाने से धड़कनों पे छा रहा कोई ख़ुमार है उसका हो गया ज़रूरी क्यूँ दीदार है? क्यूँ दीदार है? ♪ हो, मेरी तरह क्या वो भी मुझे तन्हाई में सोचती है? नज़रों से ओझल जो हो जाऊँ तो क्या वो मुझे खोजती है? Mmm, ऐसे सवालों से घिरने लगा हूँ जिनका मिले ना जवाब ख़ुद से अकेले करूँ मैं तो बातें उसकी बेहिसाब मेरे तो ख़यालों पे वही सवार है उसका हो गया ज़रूरी दीदार है हाँ, दीदार है ♪ देख रही हूँ मैं आईना तो वो नज़र आ रहा है उसके ही ख़्वाबों के धागों में मन ये उलझ सा रहा है मुझको हरारत सी होने लगी है कोई तो बात है बादल नहीं हैं कहीं भी फ़लक पे फिर कैसी बरसात है? हो न हो, है शक मुझे, ये तो प्यार है उसका हो गया ज़रूरी क्यूँ दीदार है? क्यूँ दीदार है? क्यूँ दीदार है?