सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं तूने कहा दिल डगमगा, क्यों? ढूंढा खुदको पर लापता, हूं तूने कहा दिल डगमगा, क्यों? ढूंढा खुदको पर लापता हां, बुरी संगत न रखी संघप लेकिन कही न कही अंदर ही अंदर लगे सभी ये खिलाफ क्यों? जबकि बैठा अभी उन्हीं के तो साथ हू दुश्मन खुद का मैं खुदी के लिए सांप हू बचपन में न सोचा था करूंगा पाप यूं सुबह 5 से पहले न बंद हो आंख क्यों? कमरे के कोने में मिलती मां को राख क्यों? इन सब सवालों के न जवाब मेरे पास थे ख्वाब जो अब न बचे है अंदर ही अंदर में दबे है बचपन के घाव थे अब तक न भरे है रह लिया इतना अंधेरे में, के लगता डर मुझे रोज के सवेरे से और यूं मैं सच कहता चेहरे पे, पर दिखता झूठ ही झूठे आईने पे कहने से सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं तूने कहा दिल डगमगा, क्यों? ढूंढा खुदको पर लापता, हूं तूने कहा दिल डगमगा, क्यों? ढूंढा खुदको पर लापता Yuh, खुद से करके वादे रोज तोड़ता हू देने को मैं लो सिर्फ तुझे खोजता हुं करू भी तो क्या? उठने को रोज की वजह मिलती नहीं इस मिट्टी में ही, समय कीमती पर ए खींचती मुझे बीएफसी जो है डेप्सी मेरी हर खुशी और 100 फीसदी मेरी ये स्थिति मेरी ये गलती खुद से भी है न बनती मेरी आंखों ने देखी रोज है चीज़े अंधेकी ओर मैं चाहूं तो फिर भी होता न खुद पे यकीन कैसे भूलूं मैं अतित जिसमे हसा था हर चीज़ों में (सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं) (आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं) (सब जो करले बातें, मैं खोया रहता हूं) (आंखे खोलू हर रात मैं, दिन सोया रहता हूं) (तूने कहा दिल डगमगा) (लापता, क्यों?)