तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती ना हुई तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती ना हुई बिछड़ के तुमसे मुकम्मल ये ज़िंदगी ना हुई तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती ना हुई ♪ हमारे घर से अंधेरा कभी भी जा ना सका हमारे घर से अंधेरा कभी भी जा ना सका चराग-ए-दिल भी... चराग-ए-दिल भी जलाया तो रोशनी ना हुई बिछड़ के तुमसे मुकम्मल ये ज़िंदगी ना हुई तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती ना हुई ♪ मैं जान देता रहा जिसकी दोस्ती के लिए मैं जान देता रहा जिसकी दोस्ती के लिए मेरी तरफ़... मेरी तरफ़ वो नज़र मेहरबाँ कभी ना हुई बिछड़ के तुमसे मुकम्मल ये ज़िंदगी ना हुई तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती ना हुई तुम्हारे बाद...