ना जाने कब से उम्मीदें कुछ बाक़ी हैं मुझे फिर भी तेरी याद क्यूँ आती है? ना जाने कब से, ना जाने कब से ना जाने कब से, ना जाने कब से ♪ दूर जितना भी तुम मुझसे, पास तेरे मैं अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने में ज़िंदगी से कोई शिकवा भी नहीं है अब तो ज़िंदा हूँ मैं इस नीले आसमाँ में ♪ चाहत ऐसी है ये तेरी, बढ़ती जाए आहट ऐसी है ये तेरी, मुझको सताए यादें गहरी हैं इतनी, दिल डूब जाए और आँखों में ये ग़म, नम बन जाए ♪ सभी रातें हैं (सभी रातें हैं) सभी बातें हैं भुला दो उन्हें (भुला दो उन्हें) मिटा दो उन्हें