दो पल रुका ख़ाबों का कारवाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ तुम थे के थी कोई उजली किरन? तुम थे या कोई कली मुस्काई थी? तुम थे या सपनों का था सावन? तुम थे के खुशियों की घटा छाई थी? तुम थे के था कोई फूल खिला? तुम थे या मिला था मुझे नया जहाँ? दो पल रुका ख़ाबों का कारवाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ तुम थे या खुशबू हवाओं में थी? तुम थे या रंग सारी दिशाओं में थे? तुम थे या रोशनी राहों में थी? तुम थे या गीत गूँजे फ़िज़ाओं में थे? तुम थे मिले या मिली थीं मंज़िलें? तुम थे के था जादू-भरा कोई समाँ? दो पल रुका ख़ाबों का कारवाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ