खुली आँखों से जो देखे मैंने सपने रातों के ख़्वाबों से मीठे थे वो अपने सब से छुपा के इनको मखमल में बाँधे लेके आशाएँ दिल में और कल के वादे बढ़ते चले हैं, बढ़ते चले हम आगे कब होंगे? कब होंगे? कब होंगे सच ये सपने? ♪ सपने, सपने, कब होंगे सच ये? सपने अपने जो मैंने देखे सपने, सपने, कब होंगे सच ये? सपने अपने जो मैंने देखे ♪ खुली आँखों से जो देखे मैंने सपने रातों के ख़्वाबों से मीठे थे वो अपने सब से छुपा के इनको मखमल में बाँधे लेके आशाएँ दिल में और कल के वादे बढ़ते चले हैं, बढ़ते चले हम आगे कब होंगे? कब होंगे? कब होंगे सच ये सपने? ♪ सपने, सपने, कब होंगे सच ये? सपने अपने जो मैंने देखे सपने, सपने, कब होंगे सच ये? सपने अपने जो मैंने देखे सपने, सपने, सपने अपने जो मैंने देखे सपने, सपने, सपने अपने जो मैंने देखे