(सुनो मेरा दर्द-ए-दिल) Panther (Panther) Call me Ankee सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं उसने जलाया हमको, मैं उससे जला कब होता ज़रा बता ऐसा इंसाफ़ कहाँ पर दग़ा कर, फिर उसकी दवा कर बात बस इतनी सी कि गया नहीं तू बता कर तुमने रुलाया हमको, आँसू ना बहा पर होता ज़रा बता ऐसा इंसाफ़ कहाँ पर ज़्यादा सुनाया तूने और फिर सुना कम बात बस इतनी सी कि गया नहीं तू बता कर पढ़ा कर, तू मेरे बारे पढ़ा कर जाना है क्या ऊपर लेके वफ़ा तुझे बचा कर? हँसी गया फँसा कर, हँसी गई भुला कर कोई घायल ना छूटे, जब कोई छोड़े गले लगा कर नज़्म तेरे नाम पे तो देता हूँ कुछ बड़ा पढ़ हो गई तू खर्च, करूँगा क्या इतना कमा कर? ज़्यादा सुनाया तूने और फिर सुना कम बात बस इतनी सी कि गया नहीं तू बता कर सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं ♪ कहना तो है काफ़ी तुमसे शायद एक बार तो माँग लोगी माफ़ी मुझसे लोग कहते, हम ना रह गए हैं पहले जैसे शायद तू रह गई है काफ़ी मुझमें भरी दुनिया लगती ख़ाली सी है ना हूँ अकेला, पर अकेलेपन का साथ भी है तू गई तो चला गया सुकून भी अब किसी जिस्म में तेरे जिस्म सा आराम नहीं है चेहरे काफ़ी, पर है तेरा चेहरा नहीं कहते सब, पर कोई तुम सा कहता नहीं रहने को है काफ़ी घर मेरे पास पर ना घर में होती तू तो घर भी घर सा लगता नहीं लगता नहीं घर सा लगता नहीं, नहीं, नहीं लगता नहीं घर भी घर सा लगता नहीं सब कुछ पा कर भी सब खो दिया है किया इतना सब, पर तू ना तो फिर क्यूँ किया है? झगड़ता ना है मुझसे अब कोई अपने में हूँ रहता क्योंकि अपनों को ही खो दिया है खो दिया है खो दिया है खो दिया है सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं सुनो मेरा दर्द-ए-दिल उसने ज़ख़म दिया, फिर वो हँस के चल पड़ी हम तो उनके मुंतज़िर शिकवे लाखों, पर चेहरे पे शिकन नहीं