Kishore Kumar Hits

Kaam Bhaari - Zeher текст песни

Исполнитель: Kaam Bhaari

альбом: Zeher


और मैं घुटने पर
दुआ में ख़ुशी भेजूं
तुझसे तेरा दुख लेकर
ये कश्मकश की
ये कश्मकश की रश में
जीने के मैं ढूँढू नुस्खे
ना बस में मेरे
अब मैं बंदगी के ढूँढू चस्के
समां तो लापता है
मेरी इसमें क्या खता है
कमा के मैं जमा के देता दिल से, ये वफ़ा है
धमाके कर दूँ तेरे पे बेटा मर्द हूँ मैं
पर वटा, तेरी माँ के पग पे सर दूँ मैं
विषय है ये विष का
अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा
डसने वाले लाख नाग
कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको
विषय है ये विष का
अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा
डसने वाले लाख नाग
कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको
तेरे मन के सांप हैं
तू पापों में, किसी न किसी के श्रापों में
बहोत ताकत है
पर अपने कर्म कभी गलत नहीं
दिमाग थोड़ा सटका है
धर्म कभी गलत नहीं
इंसान किधर सच्चा है
जलन
भाई को भाई से सांई को psycho हम हैं मानते
फिर काय को हम ना जानते, क्यूँ
तेरा मालिक मेरा मालिक, एक है
तू ला कालिख ख़ुद के चेहरे पे पोंछ दे
सोच के, ज़हर सी ये बातें
ये लातें, ये खा के, मज़ा ले ये kick है
ये वो जो bad trip है सज़ा देगी
कुछ मेरी रज़ा लेके बैठे हैं महफ़िल में
दम ले और बक दे जो है दिल में कह भी दे
विषय है ये विष का
अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा
डसने वाले लाख नाग
कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको
101
मैं फ़िल्में बनाने में माहिर सा था
और kill में villain कर के ज़ाहिर सा था
लोगों में, इधर कुआं उछर खाई है
डसते से शब्द, कैसे फ़सते देख भाई हैं
तू मुझको kill कर या बन मेरा दिलबर
ऐ सपने मेरे, मेरे अपनों का तू bill भर
समंदर में नाव मेरी चल पड़ी
भूखे को भूख लगी, सूरज आया धूप लगी
कुछ तो कर
सूखे को पानी की प्यास लगी, साँस दबी
मेरी बोले उठ के चल, टूट के बल चकनाचूर
सितारे बनना चाहें सब हताश हैं, निराश हैं
कोई रब से बोले, कुछ भी ना तो मेरे पास है
कोई जग से बोले कब से कब तक हम से रगबत
कोई दाख रस मांगे फ़िर भी मिलता शरबत
यहाँ पे आहटें हैं, राहत है ना मिली रूह को
ये दिल में प्यार है पर, चाहत है ना मिली तुमको
तू मेरा दिल ले, महफ़िल ले, ये feel ले
ये नगरी मेरी, डगरी मेरी, तू chill ले
(रात beach party तुझको)
विषय है ये विष का
अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा
डसने वाले लाख नाग
कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको
मैं शून्य था
कल को आज दुनिया का
पापी काम ना किए कभी, कदापि
छाती चौड़ी कर के लड़ते थे
हम तो करते थे जो करना था
कर्म का, खाया अपने फल का ही निवाला
और वटाया सबको चलता बनाया
जो थे खोटे लोग छोटे सोच के
सब दे हम उन्हीं को जो भी सच्चे लगते सोच के
रखते हैं हम उन्हीं को जिनको चाहें फौज में
रक्त कम हैं, शब्द बम हैं, फ़ूटे तो क्षय है
विजय है
विजय है हमारी हमेशा
विजय है हमारी हमेशा
विजय है हमारी हमेशा
Peace

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