हे फ़िकर क्यूँ मेरी तू फ़िकर करे? सुन ऐ डर क्यूँ पीछे-पीछे तू चले? छोड़के कल की गली मैं नई रस्ते चली ढूँढने दुनिया नई आहटें हैं नई हे नज़र क्यूँ मुझपे नज़र रखे? सुन ज़ुबां क्यूँ मुझसे ख़फ़ा रहे? मैंने खुदको रोकना अपना सच ना बोलना छोड़ डाला, टोके ना आदतें हैं नई मैं जो हुई नई तो ज़िन्दगी ये सारी नई हुई मैं जो हुई नई, लो ज़िन्दगी से यारी नई हुई ♪ मन में अपने झाँकके आँख मिलाके आँख से देखे ना हैं आज से हिम्मतें हैं नई मैं जो हुई नई तो ज़िन्दगी ये सारी नई हुई (हुई नई) मैं जो हुई नई, लो ज़िन्दगी से यारी नई हुई मैं जो हुई नई तो ज़िन्दगी ये सारी नई हुई (ओ) मैं जो हुई नई, लो ज़िन्दगी से यारी नई हुई