रूद्र शिव पुरन्दरा, भद्र नट युगन्धरा नमन-नमन, ओ, गौरीनाथ शर्व अज केदारनाथ त्रियम्बके, ओ, भोलेनाथ, नमन तुझे केदारनाथ तू शून्य से भी सूक्ष्म है आकाश से अनन्त है तू मर्म पूरी सृष्टि का तू आदि है तू अन्त है त्रियम्बके, ओ, भोलेनाथ, नमन तुझे केदारनाथ १०० जगत में है मिथक तू एक अखण्ड तथ्य है की झूठ काम लोभ जग तू एकमात्र सत्य है ओ, रूद्र शिव पुरन्दरा, भद्र नट युगन्धरा नमन-नमन, ओ, गौरीनाथ शर्व अज केदारनाथ त्रियम्बके, ओ, भोलेनाथ, नमन तुझे केदारनाथ नमन-नमन, ओ, गौरीनाथ शर्व अज केदारनाथ