डर ही अनुशासन की चाभी है एक दिन बादशाह अकबर बीरबल से बोले कि; "मेरी प्रजा मुझे बहुत प्यार करती हैं इस लिए वह मेरे हर आदेश को मन से पूरा करती हैं" बीरबल हँसकर बोले; "आप सच कह रहे है, महाराज लेकिन आप की प्रजा आप से डरती भी हैं" अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं हुए और उन्होंने सोचा कि "चलो, अपनी प्रजा की परीक्षा ली जाए" बीरबल के निर्देशानुसार यह घोषणा की गई कि बादशाह अकबर शिकार के लिए बाहर जा रहे है और बाहर आँगन में एक बड़ा सा बर्तन है जिस में सभी लोग एक-एक लोटा दुध का डाल दे सभी लोगों ने सोचा कि; "अकबर तो वैसे भी शिकार के लिए बाहर गए है तो वह तो देखेगे नहीं कि किस ने दुध डाला और किस ने नहीं" इस लिए सभी ने उस बर्तन में पानी डाल दिया अगले दिन जब अकबर शिकार से लौटे तो उन्होंने देखा कि बर्तन तो पानी से भरा है फिर दोबारा घोषणा की गई कि सभी एक-एक लोटा दुध का बर्तन में डाले इस बार बादशाह अकबर स्वयं उसे देखेंगे अगले दिन जब अकबर ने बर्तन को देखा तो वह दुध से भरा हुआ था अकबर बीरबल की बात से सहमत हो गए कि अनुशासन बनाए रखने के लिए डर का होना जरूरी है