Kishore Kumar Hits

Daboo Malik - Firaaq текст песни

Исполнитель: Daboo Malik

альбом: Firaaq


मैं तेरे फ़िराक़ में दर-ब-दर फिर रही हूँ
मैं तेरे फ़िराक़ में दर-ब-दर फिर रही हूँ
तेरा पता कोई मिलता नहीं
तुझसे भी मैंने पूछा यही, खो गए हो कहाँ?
मैं तेरे फ़िराक़ में दर-ब-दर फिर रही हूँ
फिर रही हूँ

रस्ता तेरा तकते हुए तन्हा सी हो गई
आँखें मेरी जाने कहाँ राहों में खो गईं
क़िस्मत की सारी लकीरों में भी...
क़िस्मत की सारी लकीरों में भी दिल ने तलाशा तुम्हें
मैं तेरे फ़िराक़ में दर-ब-दर फिर रही हूँ
मैं तेरे फ़िराक़ में...
खोते हैं अगर जाँ तो खो लेने दे
ऐसे में जो हो जाए वो हो लेने दे
एक उम्र पड़ी है, सब्र भी कर लेंगे
इस वक्त तो जी-भर के रो लेने दे
अपनी साँसों की धड़कन से भी तुझको पूछा कभी
लब से तेरे अपना बदन छू के भी देखा कभी
यादों के आसमानों से भी...
यादों के आसमानों से भी अक्सर पुकारा तुम्हें
मैं तेरे फ़िराक़ में दर-ब-दर फिर रही हूँ
मैं तेरे फ़िराक़ में...

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